ट्रंप की तैयारी: दवाओं पर 200% टैरिफ, अमेरिकियों की सेहत पर खतरा, भारत पर असर

नई दिल्ली
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बाहर से आने वाली दवाओं पर भी 200 प्रतिशत टैरिफ लगाने के तैयारी में हैं. इसका असर भारत जैसे तमाम उन देशों पर पड़ेगा जो अमेरिका को दवा सप्लाई करते हैं. हालांकि, अभी भारत को इससे अलग रखा गया है लेकिन आने वाले समय में इसका असर भारत पर भी देखने को मिलेगा. लेकिन अगर भारत पर भी यह टैरिफ लागू हुआ तो उसके फार्मास्युटिकल, ऑर्गेनिक केमिकल्स और मेडिकल उपकरण एक्सपोर्ट पर पड़ेगा. वहीं, टैरिफ से अमेरिका को भी नुकसान होगा वहां पर दवाओं की कीमत बढ़ जाएगी. स्टाक की कमी हो सकती है.
एपी की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने आयातित दवाओं पर भारी शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है. अधिकारियों ने कुछ दवाओं पर 200 प्रतिशत तक के शुल्क सार्वजनिक रूप से लगाए हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि इस नीति से कीमतें बढ़ सकती हैं और सप्लाई चेन बाधित हो सकती है.
भारत पर क्या होगा असर
हालांकि, अभी भारत को फार्मा टैरिफ से दूर रखने की बात कही गई है. लेकिन अगर यह लागू होता है तो कभी न कभी इसका असर भारत के एक्सपोर्ट पर पड़ सकता है. ट्रेड इकोनॉमिक्स के डेटा के मुताबिक, इंडिया ने साल 2024 में अमेरिका को कुल 8.72 बिलियन अमेरिकी डॉलर के फार्मास्युटिकल उत्पादों का निर्यात किया था. इस पर भी असर पड़ सकता है. जो दुनिया में जेनेरिक दवाओं का एक प्रमुख निर्यातक है, विशेष रूप से असुरक्षित है। अगर अमेरिका में टैरिफ लगता है, तो भारतीय दवा निर्माताओं को नुकसान हो सकता है और उनके निर्यात पर असर पड़ सकता है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स से पता चलता है कि ट्रंप प्रशासन चीन से आयातित दवाओं और उनके कच्चे माल (APIs) पर बहुत फोकस कर रहा है।
ट्रंप का मुख्य टार्गेट फार्मा कंपनियों को दबाव डालकर अपना प्रोडक्शनअमेरिका में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर करना है। उनका तर्क है कि अमेरिका में बनी दवाओं पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा। पहले से ही, कुछ बड़ी कंपनियों जैसे जॉनसन एंड जॉनसन और रोश ने अमेरिका में निवेश बढ़ाने की घोषणा की है।
विशेषज्ञों और उद्योग समूहों का मानना है कि इतने ऊंचे टैरिफ का उल्टा असर हो सकता है। इससे दवाओं की कीमतों में वृद्धि होने और दवाओं की कमी पैदा होने का खतरा है। खासकर जेनेरिक (सामान्य) दवाएं, जो पहले से ही कम मुनाफे पर बिकती हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं। कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि 25% टैरिफ भी अमेरिकी दवा की लागत को लगभग 51 अरब डॉलर बढ़ा सकता है।
कई दवा कंपनियों और उद्योग समूहों ने इस कदम की आलोचना की है। उनका कहना है कि टैरिफ से R&D और इनोवेशन पर बुरा असर पड़ेगा। दिलचस्प बात यह है कि कुछ निवेशकों और विश्लेषकों को संदेह है कि ट्रंप वास्तव में 200% जैसी ऊंची दर लागू करेंगे। उनका मानना है कि यह केवल निगोशिएशन की एक रणनीति हो सकती है।
क्यों चिंता में अमेरिकी लोग?
जानकारों का मानना है कि दवाओं पर भारी-भरकम टैरिफ से एक तरफ सप्लाई चेन प्रभावित होगी तो दूसरी तरफ दवाओं की कमी का खतरा बढ़ जाएगा. ट्रंप प्रशासन अपने इस कदम को सही ठहराने के लिए ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट 1962 की सेक्शन 232 का इस्तेमाल कर रहा है. दलील दी जा रही है कि दवाओं की कमी से बचने के लिए घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाना जरूरी है, ताकि कोविड-19 जैसी स्थिति दोबारा न हो.
हाल ही में अमेरिका-यूरोप व्यापारिक फैसले में कुछ यूरोपीय सामानों पर 15 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया गया था, जिनमें दवाएं भी शामिल हैं. इसके बावजूद ट्रंप प्रशासन और ज्यादा टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहा है.
क्या होगा तत्काल असर?
व्हाइट हाउस की तरफ से सुझाव दिया गया है कि हायर टैरिफ लागू करने में करीब डेढ़ साल का समय दिया जाना चाहिए. कई कंपनियां पहले ही आयात बढ़ा चुकी हैं और दवाओं के दाम बढ़ा चुकी हैं.
जेफरीज के विश्लेषक डेविड विंडले ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह फैसला 2026 के आखिर या 2027 से पहले लागू नहीं हो सकता है. अल्पकालिक प्रभाव यह होगा कि दवाओं की कमी बढ़ेगी. जबकि लंबे समय में इसका सीधा असर लागत और आपूर्ति पर पड़ेगा.
ऑर्गेनिक केमिकल्स और मेडिकल उपकरण
ऑर्गेनिक केमिकल्स भारत से अमेरिका को निर्यात 2.56 बिलियन USD की तुलना में अमेरिका से भारत को आयात 3.54 बिलियन USD से अधिक रहा है. भारत वैश्विक स्तर पर ऑर्गेनिक केमिकल्स का एक प्रमुख निर्यातक है और अमेरिका इसका सबसे बड़ा बाजार है.
वहीं, मेडिकल उपकरण की बात करें तो भारत अमेरिका को मेडिकल उपकरण का भी काफी मात्रा में निर्यात करता है. इस पर टैरिफ का असर पड़ेगा. क्योंकि ज्यादा टैरिफ होने से सामान महंगे होंगे. हालांकि, भारत अमेरिका से करीब 5.7 बिलियन USD का आयात करता है. क्योंकि भारत अपनी हाई-एंड मेडिकल उपकरण जरूरतों के लिए अमेरिका पर निर्भर है.