लाइफस्टाइल

महिलाओं के लिए राहत! अब नार्मल डिलीवरी बिना दर्द संभव

सागर
डिलीवरी के समय महिलाओं को असहनीय प्रसव पीड़ा से गुजरना पड़ता हैं, लेकिन अब सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज से अच्छी और राहत भरी खबर सामने आई है, जहां महिलाओं को बिना दर्द के डिलीवरी करने पर किया गया शोध सफल रहा है. इस रिसर्च के बाद महिलाएं मुस्कुराते हुए भी बच्चे को जन्म दे सकेंगी. सामान्य प्रसव भी बिना दर्द के होगा. इस रिसर्च को इंडियन जर्नल ऑफ एप्लाइड रिसर्च में पब्लिश किया गया है. इसके बाद यह सुविधा रेगुलर बेस पर मेडिकल कॉलेज में शुरू कर दी गई है. अब बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज संभवत प्रदेश का ऐसा केंद्र बन गया है, जहां महिलाएं इस तरह की डिलीवरी करवा सकती हैं, लेकिन यह मरीज की सहमति मिलने के बाद ही किया जाएगा.

मेडिकल कॉलेज में एनेस्थीसिया विभाग में कार्यरत चेन्नई की डॉ. विनिशा ने 120 मरीजों पर उनकी अनुमति से इस शोध कार्य को पूरा किया.  यह रिसर्च करीब ढाई साल पहले शुरू की गई थी. इस प्रयोग से बच्चे और मां को कोई साइडइफेक्ट नहीं मिला है. डॉ. विनिशा ने बताया कि विभाग अध्यक्ष डॉ. सर्वेश जैन के गाइडेंस में उन्होंने यह रिसर्च की थी.

रोपिवाकेन दवा के साथ पहली बार रिसर्च किया 
मेडिकल कॉलेज में एनिस्थिया विभाग के अध्यक्ष डॉ.सर्वेश जैन ने बताया सामान्य प्रसव के लिए जब गर्भाशय में संकुचन अर्थात कॉन्ट्रैक्शन आते हैं तो दर्द का एहसास होता है ,यदि इस दर्द को स्पाइनल कॉर्ड के लेवल पर ही सुन्न की दवा डाल कर ब्लॉक कर दिया जाए तो मरीज का सामान्य प्रसव भी हो जाता है और कष्टकारी एहसास भी नहीं होता. चिकित्सा विज्ञान में यह तरीका दशकों से अपनाया जा रहा था, लेकिन अभी एक नई दवा रोपिवाकेन के साथ बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में तेलंगाना से आई पीजी स्टूडेंट डा विनिशा ने इस पर रिसर्च किया है. रोपिवाकेन के साथ आप और सुरक्षित तरीके से बिना दर्द के प्रसव कराया जा सकता है साथ ही इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है

मरीज को नि:शुल्क मिलेगी सुविधा
सागर संभाग के किसी भी प्राइवेट सरकारी अस्पताल में रेगुलर बेसिस पर यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. जबकि महानगरों की प्राइवेट अस्पतालों में दर्द रहित सामान्य प्रसव के लिए मरीजों को 25 से 50 हजार रुपए अतिरिक्त वहन करने होते हैं. बीएमसी में यह सुविधा नि:शुल्क शुरू कर दी गई है. संबंधित महिलाएं एनेस्थीसिया विभाग में जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकती हैं. प्रसव पीड़ा शुरू होने पर परिजन डॉक्टर्स से संपर्क कर सकते हैं.

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