सितंबर में सामान्य से ज्यादा बरसात, किसानों को इन फसलों पर रखनी होगी नजर

नई दिल्ली
अगस्त का पूरा महीना देश के विभिन्न राज्यों के लिए मॉनसूनी बारिश से भीगा रहा तो वहीं कई राज्यों में बाढ़ के प्रकोप ने रिकॉर्ड तोड़े हैं. अब सितंबर में भारत के किस क्षेत्र में कैसा मौसम रहेगा? देश में बारिश की क्या स्थिति होगी? इसके लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अनुमान जारी किए हैं.
सितंबर में कैसा रहेगा मौसम?
IMD का कहना है कि देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है. लेकिन, पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों समेत दक्षिण भारत के कुछ दूरदराज के इलाकों में बारिश सामान्य से कम रह सकती है.
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, सितंबर 2025 में पूरे देश में मासिक औसत वर्षा दीर्घावधि औसत 109% (सामान्य से अधिक) रहने की संभावना है. साल 1971 से 2020 के बीच भारत में सितंबर महीने में बारिश का औसत आंकड़ा 167.9 मिमी रहा है.
इन फसलों के लिए किसानों को रहना होगा सतर्क
सामान्य से अधिक बारिश कुछ फसलों के लिए नुकसानदायक हो सकती है. ऐसे में किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है. भारत में ग्रीष्मकालीन फसलों जैसे चावल, कपास, सोयाबीन, मक्का और दालों को नुकसान हो सकता है. दरअसल, इन फसलों की कटाई आमतौर पर मध्य सितंबर से की जाती है.
कितना रहेगा तापमान?
तापमान के मामले में, सितंबर के दौरान पश्चिम-मध्य, उत्तर-पश्चिम और दक्षिण भारत के कई इलाकों में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से कम या सामान्य के आसपास रहने की संभावना है. जबकि पूर्व-मध्य, पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों, उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों और पश्चिमी तटीय इलाकों में औसत अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है.
औसत न्यूनतम तापमान की बात करें तो देश के अधिकांश हिस्सों में यह सामान्य से अधिक या सामान्य के करीब रहने की संभावना है. हालांकि, उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों में रात का तापमान सामान्य से कम रह सकता है.
किसानों के लिए राहत की खबर
सामान्य से अधिक बारिश खरीफ की फसलों के लिए अच्छी है और इससे बंपर पैदावार की उम्मीद बढ़ सकती है.सितंबर का यह मौसम पूर्वानुमान किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह खरीफ फसलों के सीजन का चरम समय है. सामान्य से अधिक बारिश उन फसलों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है जिन्हें अधिक पानी की जरूरत होती है. हालांकि, कुछ इलाकों में बाढ़ जैसी स्थितियों का जोखिम भी बना रह सकता है. वहीं, पूर्वोत्तर, पूर्वी और दक्षिणी भारत में कम बारिश का खेती पर असर भी पड़ सकता है.