हमीदिया-जेपी अस्पताल में 12,078 जानवर काटने के केस, 90% रेबीज खतरा; वैक्सीन जरूरी

भोपाल
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह एडवाइजरी जारी की है। दूसरी ओर, भोपाल में साल 2025 के शुरुआती 6 माह में 13 हजार से अधिक लोगों को 9 तरह के जानवरों ने काटा है।यह उन लोगों की संख्या है जो एनिमल बाइट के बाद इलाज के लिए जेपी अस्पताल या हमीदिया अस्पताल पहुंचे थे। इनके अलावा एक बड़ी संख्या उन मरीजों की भी है, जो रिपोर्टेड नहीं हुए यानी इलाज के लिए अन्य अस्पतालों में गए। जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने कहा- रेबीज 100% रोकी जा सकने वाली बीमारी है। कई लोग काटने को हल्के में लेते हैं और वैक्सीन नहीं लगवाते। यही लापरवाही मौत का कारण बन सकती है। अस्पताल में पर्याप्त संख्या में एंटी रेबीज वैक्सीन मौजूद है।
सबसे ज्यादा कुत्तों के काटने के मामले साल 2025 में जून माह तक जेपी और हमीदिया अस्पतालों में कुल 12,078 पुरुष और 9,286 महिलाएं एनिमल बाइट का शिकार बनीं। इनमें से सबसे ज्यादा मामले कुत्तों के काटने के सामने आए। अकेले कुत्तों के काटने के 10,848 पुरुष और 8,497 महिलाएं रिपोर्ट हुईं, यानी कुल मिलाकर 19 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए। यह आंकड़ा साफ दिखाता है कि रेबीज संक्रमण का सबसे बड़ा खतरा कुत्तों से ही है।
बंदर, चमगादड़ और अन्य जानवर भी बने खतरा कुत्ते और बिल्लियों के बाद भी कई अन्य जानवर इंसानों को काटने के मामलों में सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, बंदरों के काटने के 213 केस दर्ज हुए, जबकि चूहों के काटने के 249 मामले सामने आए। इसके अलावा चमगादड़ (10 केस), गिलहरी (16 केस) और खरगोश (5 केस) के मामले भी रिपोर्ट हुए। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बाइट कम संख्या में भले हों, लेकिन संक्रमण का खतरा इनमें भी उतना ही गंभीर रहता है।
रेबीज मौतों का 36% हिस्सा अकेले भारत से WHO के अनुसार, रेबीज एक टीके से रोकी जा सकने वाली वायरल बीमारी है, जो दुनिया के 150 से अधिक देशों और क्षेत्रों में पाई जाती है। भारत रेबीज से प्रभावित देशों में शामिल है। विश्व भर में होने वाली रेबीज मौतों का लगभग 36 प्रतिशत हिस्सा अकेले भारत से सामने आता है।
भारत में रेबीज का वास्तविक बोझ पूरी तरह ज्ञात नहीं है, लेकिन उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार हर साल लगभग 18,000 से 20,000 मौतें इस बीमारी के कारण होती हैं। रिपोर्टेड मामलों और मौतों में से 30 से 60% पीड़ित बच्चे (15 वर्ष से कम आयु) होते हैं। अक्सर बच्चों को काटे जाने की घटनाएं नजरअंदाज या रिपोर्ट नहीं की जातीं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है।
2024 में डॉग बाइट के 37 लाख केस, 54 मौतें जुलाई माह में लोकसभा में एक लिखित उत्तर में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने जानकारी दी कि कुत्तों के काटने और संदिग्ध मानव रेबीज से हुई मौतों का आंकड़ा राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एकत्र किया जाता है।
यह आंकड़े राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) संकलित करता है। एनसीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक- वर्ष 2024 में कुल 37,17,336 कुत्तों के काटने के मामले सामने आए, जबकि संदिग्ध मानव रेबीज से कुल 54 मौतें दर्ज की गईं।
3 माह तक वायरस रह सकता है निष्क्रिय रेबीज किसी व्यक्ति के शरीर में 1 से 3 महीने तक निष्क्रिय रह सकता है। इसका सबसे पहला संकेत है बुखार का आना है। फिर घबराहट होना, पानी निगलने में दिक्कत होना, लिक्विड के सेवन से डर लगना, तेज सिरदर्द, घबराहट होना, बुरे सपने और अत्यधिक लार आना शामिल हैं।
एंटी रेबीज वैक्सीन वायल की खपत बढ़ी राजधानी में साल 2020 से 21 में 5 हजार 523 एंटी रेबीज वैक्सीन वायल की खपत हुई थी। जो साल 2021 से 22 में बढ़कर 7415 और साल 2022 से 23 में 10446 हो गई। इसके अलावा साल 2020 से 21 में केवल 5 वायल रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन की खपत हुई थी। जो 2021 से 22 में बढ़कर 51 और साल 2023 से 24 में 65 वायल तक पहुंच गई है।